2025 का पहलगाम आतंकी हमला: जब पर्यटकों को बना दिया गया धर्म के नाम पर निशाना
2025 का पहलगाम आतंकी हमला: जब पर्यटकों को बना दिया गया धर्म के नाम पर निशाना
---
प्रस्तावना
22 अप्रैल 2025 की सुबह, जब देश के लोग आम दिनों की तरह अपने काम में व्यस्त थे, तब जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बैसारन घाटी (पहलगाम) से एक खौफनाक खबर ने पूरे भारत को दहला दिया। पर्यटकों पर हुए इस बर्बर आतंकी हमले में 28 निर्दोष लोगों की जान चली गई। हमले की खास बात यह थी कि आतंकियों ने पहले पीड़ितों से नाम और धर्म पूछा, और फिर हिंदू यात्रियों को चुन-चुन कर गोली मारी।
---
घटना का पूरा विवरण
यह हमला पहलगाम के पास स्थित बैसारन घाटी में हुआ, जो अपनी खूबसूरती के लिए "मिनी स्विट्जरलैंड" कहलाती है। उस दिन, घाटी में दर्जनों भारतीय और विदेशी पर्यटक मौजूद थे। कुछ टूरिस्ट्स ट्रेकिंग कर रहे थे, कुछ पिकनिक मना रहे थे, और कुछ सेल्फी ले रहे थे।
तभी दो से तीन आतंकियों का समूह, जो स्थानीय वेशभूषा में था, अचानक उनके सामने आया। उनके पास AK-47, हैंड ग्रेनेड और अन्य हथियार थे। उन्होंने टूरिस्ट्स को घेर कर एक-एक से नाम पूछा, आईडी कार्ड देखा, और जिनके नाम से उनका धर्म हिंदू प्रतीत होता था, उन्हें गोली मार दी।
---
पीड़ित कौन थे?
हमले में मारे गए 28 लोगों में शामिल थे:
25 भारतीय नागरिक (ज्यादातर उत्तर भारत के)
1 नेपाली पर्यटक
2 अन्य विदेशी नागरिक (संभावित रूप से यूके और मलेशिया के)
पीड़ितों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, लेकिन अधिकतर पुरुषों को टारगेट किया गया, यह भी आतंकियों की सोची-समझी रणनीति थी।
---
आतंकी संगठन और मकसद
इस हमले की जिम्मेदारी ली The Resistance Front (TRF) ने, जो लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ा आतंकी संगठन है। TRF ने कहा कि यह हमला "गैर-कश्मीरियों को बसाने की नीति" के विरोध में किया गया है।
उनके मकसद:
केंद्र सरकार की "कश्मीर में जनसांख्यिकीय बदलाव" नीति का विरोध
टूरिज़्म के जरिए बढ़ती गैर-मुस्लिम मौजूदगी रोकना
डर का माहौल पैदा करना
---
हमले का समय और रणनीति
हमला सुबह करीब 10:45 बजे हुआ। बैसारन घाटी एक दुर्गम स्थान है, जहां पहुंचने के लिए पैदल या घोड़े पर जाना होता है। आतंकियों ने इसी का फायदा उठाया:
पहले से घात लगाए बैठे थे
कम्युनिकेशन जाम किया गया
घाटी के एकमात्र रास्ते को घेर कर हमला किया
यह दर्शाता है कि हमला बिल्कुल योजनाबद्ध और प्री-प्लांड था।
---
बचाव और राहत कार्य
हमले के करीब 45 मिनट बाद सेना और स्थानीय पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। राहत कार्य में देरी के कारण:
कई घायलों की मौके पर मौत हो गई
हेलीकॉप्टर की मदद से कुछ को एयरलिफ्ट किया गया
सेना ने आसपास के इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाया
---
राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा की और कहा:
> “यह हमला सिर्फ पर्यटकों पर नहीं, बल्कि भारत की आत्मा पर है।”
गृहमंत्री अमित शाह ने हमले के तुरंत बाद:
NIA जांच के आदेश दिए
जम्मू-कश्मीर प्रशासन से सुरक्षा समीक्षा की रिपोर्ट मांगी
TRF और उसके सहयोगियों पर बैन की प्रक्रिया तेज की
---
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस हमले की निंदा कई देशों ने की:
अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और फ्रांस ने इसे "religious extremism" करार दिया
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि "tourism को टारगेट करना मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है"
---
सोशल मीडिया पर जनता का गुस्सा
इस हमले के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा:
#PahalgamMassacre ट्रेंड करने लगा
लोग सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग करने लगे
कुछ लोगों ने इसे 2025 का "new Pulwama" कहा
---
ग्राउंड रिपोर्ट: चश्मदीदों की कहानी
राजेश मल्होत्रा, जो इस हमले में किसी तरह जान बचा पाए, बताते हैं:
> “मैंने अपने सामने 5 लोगों को मरते देखा… हमसे नाम पूछा गया, फिर एक-एक करके गोली मार दी गई…”
एक स्थानीय गाइड, फैसल, ने कहा:
> “पहलगाम को डर की घाटी बना दिया गया है... ऐसा पहले कभी नहीं देखा।”
---
सरकार की भविष्य की रणनीति
सरकार ने हमले के बाद कई बड़े फैसले लिए:
बैसारन घाटी को हाई सिक्योरिटी ज़ोन घोषित किया
जम्मू-कश्मीर में टूरिज़्म सिक्योरिटी स्कीम लागू करने की घोषणा
सेना की गश्त बढ़ाई गई
सभी टूरिस्ट स्पॉट्स पर नाम/धर्म आधारित जांच बंद करने के निर्देश दिए
---
धार्मिक कट्टरता बनाम टूरिज़्म
यह हमला सिर्फ एक आतंकवादी घटना नहीं थी, बल्कि एक धार्मिक विद्वेष से प्रेरित क्रूरता थी। टूरिज्म को बढ़ावा देने की कोशिश को इन संगठनों ने "धार्मिक खतरे" के रूप में पेश किया, जो एक खतरनाक नैरेटिव है।
निष्कर्ष
2025 का पहलगाम हमला सिर्फ पर्यटकों पर हुआ हमला नहीं था, यह भारत के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने पर सीधा हमला था। आतंकियों ने यह संदेश देने की कोशिश की कि कश्मीर किसी एक धर्म का है, लेकिन इस क्रूरता ने केवल यह दिखा दिया कि आतंकवाद की कोई इंसानियत नहीं होती।
सरकार को चाहिए कि इस हमले को केवल एक घटना न मानकर नई रणनीति, सख्त सुरक्षा, और सामाजिक सौहार्द को साथ लेकर चलने वाली नीति अपनाए, ताकि फिर कभी कोई बैसारन घाटी में मौत का शिकार न बने।
Hey
ReplyDelete